छत्तीसगढ़

भाजपा के षडयंत्रों के चलते ही जन-सरोकार से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयक राजभवन में अटके : बैज

रायपुर

छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभाने में भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से नाकाम रही है, नकारे जाने के बाद अब केवल झूठ और षडयंत्रों की राजनीति कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में राज्य विधान सभा द्वारा पारित सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण बढ़ाने के उद्देश्य से पारित 76 प्रतिशत नवीन आरक्षण विधेयक सहित नौ कानून लंबे समय से राज्यपाल की सहमति के लिए लंबित हैं, उनमें से कई 2020 की शुरूआत से हैं भाजपाईयों के साजिश के चलते राजभवन में रोके गए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा  कि विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को अनुमोदित करने में राजभवन में अत्यधिक देरी को चुनौती देने के लिए अनेको याचिकाएं दायर है, जिसके सुनवाई के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राज भवन में विधेयकों को रोके जाने के मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी की और राज्यपालों को समझाइए देते हुए यह कहा कि चुनी हुई राज्य सरकारों के द्वारा पारित विधेयक के संदर्भ में राजभवन को तत्परता बरतनी चाहिए। किसी भी तरह से विटो पावर के रूप में विधेयकों को लंबित रखना अनुचित है। विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा द्वारा 2020 से 2022 के बीच विधानसभा द्वारा पारित कुल नौ विधेयक राजभवन में लंबित हैं।

लंबित विधेयकों में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2020, छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2020, पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ (संशोधन) विधेयक 2020, छत्तीसगढ़ कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2020, इंदिरा शामिल हैं। कला संगीत विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2020, छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020, छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक 2020, और छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक।विश्वविद्यालय विधेयकों में संशोधन किया। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय विधेयकों में से एक, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, विश्वविद्यालय का नाम बदलकर चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय करने का प्रावधान करता है। ये सभी विधेयक राज्यपाल अनुसुइया उइके के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित कर सहमति के लिए राजभवन भेजे गए थे, जो भाजपा के षडयंत्रों के चलते आजतक लंबित है।

उन्होंने कहा कि भाजपा का राजनैतिक चरित्र मूलत: लोकतंत्र विरोधी है। संविधान के अनुच्छेद 200 में राज्य की विधानसभा के द्वारा पारित विधेयक के संदर्भ में राजभवन के दायित्व का उल्लेख है, लेकिन विपक्ष के द्वारा शासित राज्यों में राजभवन को आड़ में दुर्भावना पूर्वक वीटो के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जो सर्वथा अनुचित है। जन सरोकार के महत्वपूर्ण विधेयक को रोकना तीन चौथाई से बड़ी बहुमत से निर्वाचित सरकार का अपमान है, विधायिका का अपमान है, छत्तीसगढ़ की जनता का अपमान है।

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