राजनीतिक

कांग्रेस मुख्यालय पर छाया सन्नाटा, इसकी वजह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी और उसके गठबंधन की करारी हार थी

नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन, चार जून को कांग्रेस मुख्यालय स्थित पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक के कमरे में नेताओं का जमघट लगा था और एक तरह से जश्न का माहौल था, लेकिन इसके करीब छह महीनों बाद 23 नवंबर को इस कमरे में वीरानी छाई हुई थी। यह वीरानी सिर्फ एक कमरे में नहीं थी, बल्कि लगभग समूचे मुख्यालय में थी और इसकी वजह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी और उसके गठबंधन की करारी हार थी।

कोई वरिष्ठ नेता पार्टी मुख्यालय नहीं पहुंचा
पिछले कुछ चुनावों से यह देखा गया है कि नतीजों वाले दिन पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता कांग्रेस मुख्यालय ‘24 अकबर रोड' स्थित वासनिक के कमरे में जमा होते हैं और वहीं पर पत्रकारों के साथ उनका संवाद भी होता है, लेकिन शनिवार को ऐसा कुछ नहीं था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में कांग्रेस और महा विकास आघाडी (एमवीए) के पिछड़ने के बाद पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता मुख्यालय नहीं पहुंचा और दोपहर 12 बजे तक तस्वीर साफ होने पर कार्यकर्ताओं-समर्थकों की बची-खुची उम्मीद भी खत्म हो गई तथा वे भी मुख्यालय से रवाना होने लगे।

कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने वाले वाले कुछ नेताओं में पार्टी की सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत शामिल थीं। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत अहमद पटेल की पुत्री मुमताज पटेल भी टेलीविजन चैनलों को प्रतिक्रिया देती दिखाई दीं। पार्टी कवर करने वाले पत्रकार प्रतिक्रिया के लिए वरिष्ठ नेताओं की राह देखते रहे। एक मीडियाकर्मी ने कहा, ‘‘अभी 12 बज रहे हैं, सुबह छह बजे से यहां हूं और अब तक वे बड़े चेहरे यहां नहीं दिखे जो अक्सर यहां आते हैं। महाराष्ट्र की हार के कारण यह स्वाभाविक भी लगता है।''

कार्यकर्ताओं के चेहरों पर छाई मायूसी
कांग्रेस मुख्यालय में सिर्फ वरिष्ठ नेताओं के कमरे ही नहीं खाली नहीं थे, बल्कि पार्टी मुख्यालय के बाहर, प्रांगण और कैंटीन में भी आम दिनों की तरह ही थोड़ी-बहुत हलचल थी। पार्टी कार्यकर्ताओं के चेहरे पर निराशा साफ देखी जा सकती थी। इस बीच कुछ कार्यकर्ता आपसी बातचीत में ‘‘ईवीएम में खेल होने'' की बात करते सुने जा सकते थे। कांग्रेस की कैंटीन में भी बालूशाही, लड्डू और रसगुल्ले जैसी मिठाइयां बनाकर रखी हुई थीं, लेकिन शायद इनके उतने खरीददार नहीं थे, जिसकी उम्मीद कैंटीन चलाने वालों को रही होगी। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘हरियाणा के बाद एक बार फिर से हमारी उम्मीदें टूटी हैं। झारखंड के नतीजों से थोड़ी राहत जरूर मिली है। काश दोनों राज्यों में ‘इंडिया' गठबंधन की सरकार बनती।''

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button